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कल से सुप्रीम कोर्ट में राम मन्दिर पर सुनवाई शुरू होगी. देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में तीन नए जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगा. अलग-अलग कोर्ट में 1950 से चल रहा मामला 70 साल बाद सबसे बड़े इंसाफ़ के मन्दिर में न्याय की राह देख रहा है. राम को सियासत के केन्द्र में रखने वाली BJP केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज है. लेकिन राम मन्दिर निर्माण पर ये सरकारें धर्म संकट में फँसी दिख रही है. RSS, VHP से लेकर राम मन्दिर के हक़ में आवाज़ उठाने वाले संगठन अध्यादेश से लेकर क़ानून लाने की माँग कर रहे हैं. लेकिन फ़ैसला लेने वाली सरकार दोराहे पर खड़ी है. हालाँकि PM मोदी ने साफ़ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले अयोध्या में मन्दिर के लिए सरकार अध्यादेश नहीं लाएगी. सवाल जस का तस है कि क्या अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण का रास्ता जल्द खुलेगा या फिर 70 साल का इंतज़ार और लंबा होगा?
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