
क्या क़ुरान में कहीं लिखा है कि औरत और मर्द एक साथ नमाज़ नहीं पढ़ सकते? क्या ईश्वर या ख़ुदा किसी तरह की भेदभाव की बात करते हैं? अगर नहीं, तो वो कौन-सी परम्परा है जो महिलाओं को मस्जिद जाने से रोकती है? दुनियाभर में मुस्लिम महिलाओं को इस तरह के भेदभाव का सामना करना नहीं पड़ता. लेकिन भारत के बड़े हिस्से में सुन्नी मस्जिदों में महिलाओं को कुछ बहानों की आड़ में मस्जिद जाने से रोका जाता है. कई जगहों पर उन्हें पुरुषों के साथ नमाज़ पढ़ने की इजाज़त नहीं. क्या महिलाओं को अपनी-अपनी इबादतगाह पर जाकर इबादत करने का मुक्कमल हक़ नहीं होना चाहिए? केरल की एक संस्था मस्जिदों में पुरुषों के साथ नमाज़ पढ़ने का हक़ माँगने जा रही है. लेकिन उनकी ये माँग भी मजहब के कई ठेकेदारों को नागवार गुजर रही है.
from Latest News शो News18 हिंदी https://ift.tt/2yB9WqW
This is dummy text. It is not meant to be read. Accordingly, it is difficult to figure out when to end it. But then, this is dummy text. It is not meant to be read. Period.
ConversionConversion EmoticonEmoticon