मुकुंद कहते है कि उन्होंने अपने नाना से प्रेरित होकर पहले डायरी लिखनी शुरू की, फिर धीरे धीरे यह आदत जुनून में बदल गई जो आज भी अनवरत जारी है. साल 2013 में उन्होंने लिम्का बुक और रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया. अब मुकुंद राष्ट्रपति पुरस्कार और गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करने की तमन्ना लिए बैठे हैं.
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