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जिस विपक्षी एकता का ढोल पीटकर मोदी सरकार को ललकारा जा रहा था, उसकी पोल खुल गई है. क्योंकि जिस मायावती को महागठबन्धन का मज़बूत पिलर माना जा रहा था, वो कांग्रेस के खिलाफ ताल ठोक रही हैं. कांग्रेस पर हमला करते हुए मायावती ने कहा- कांग्रेस अहंकार में है, हार से भी सबक नहीं लिया. कांग्रेस जाति और सांप्रयादिकता की सियासत करती है. गठबन्धन की आड़ में BSP को ख़त्म करना चाहती है. इसलिए कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं होगा. उधर मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ कह रहे हैं कि मायावती के जाने से हमें कोई नुकसान नहीं होगा और इस तल्खी में विपक्षी तालमेल की हवा निकल चुकी है. ऐसे में कांग्रेस का 2019 वाला ख्वाब कैसे पूरा होगा? क्योंकि शरद पवार, ममता बनर्जी, और दूसरे क्षेत्रीय क्षत्रपों ने भी राहुल गाँधी की लीडरशिप पर इंतजार की तलवार लटका दी है. ऐसे में देश को जवाब चाहिए कि क्या मायाजाल में फंस गया महागठबन्धन, और महागठबन्धन के बीच चल रहे तकरार का चुनाव पर कितना असर पड़ेगा, इस मुद्दे पर जनता को जवाब दिया नेताओं ने.
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