HTP : क्या सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बावजूद मन्दिर से महिलाओं को दूर रखना सही है?

आज मासिक पूजा के लिए सबरीमला मन्दिर के कपाट बाद में खुले. उससे पहले विवादों का फ़ाटक खुल गया. पौ फटने से पहले ही सबरीमला मन्दिर के बेस कैम्प निलक्कल में प्रदर्शनकारी जुट चुके थे. केरल पुलिस ने सबरीमला आचार संरक्षण समिति के तम्बू हटा दिए. पुलिस का रुख़ देख वहाँ मौजूद मुट्ठीभर प्रदर्शनकारी भाग खड़े हुए. लेकिन सूरज उगते ही मंजर बदलने लगा. मन्दिर पहुंचने वाले तमाम रास्तों पर प्रदर्शनकारियों का कब्ज़ा सा दिखा. इनमें से कई ख़ुद को अयप्पा धर्म सेना के कार्यकर्ता बता रहे थे. ग़ुस्साए प्रदर्शनकारी महिलाओं को देखते ही हंगामे पर उतारू हो रहे थे. हर वाहन की तलाशी ली जा रही थी. दस साल से ज़्यादा और 50 साल से कम उम्र की महिलाओं को वापस भेजा जा रहा था. कहीं-कहीं पुलिस पर भी पथराव हुआ. केरल सरकार इस पूरे विवाद के लिए BJP, RSS और कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहरा रही है. केरल की सरकार ख़ुद भी इस मामले में दुविधा में नज़र आ रही है.

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