जिस जंगल में पति को बाघ खा गया, पेट की ख़ातिर मैं वहां रोज़ जाती हूं

जंगल जाते हुए हर दिन मेरी रूह कांप उठती है. फिर अपने आदमी की कही बात याद आती है, मौत का आना तय है. वो जहां, जैसे आनी लिखी है वैसे ही आएगी.

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