कल्पनाओं से इंसानियत पर फैले तारकोल को साफ करते थे 'पाश'

सड़न और सृजन एक क्रमिक प्रक्रिया है. इसी सड़ चुकी व्यवस्था पर पाश अपना सृजन करते हैं. अपने अनुभव की परतों पर कुदाल चलाते हैं और दिखाते हैं हमें वो लाश जिसकी शक्ल हू-ब-हू हमसे मिलती है.

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