भारतीय सनातन संस्कृति के अध्येता डॉ. राजनाथ झा बताते हैं कि जब हम मंदिर में देवी देवता के दर्शन करते हैं, तो मन में सकारात्मक ऊर्जा और सोच का प्रवाह होने लगता है. प्रेम भाव से भक्ति-भजन कर जब हम वापस लौटते हैं और फिर से घंटा बजाते हैं, तो वह सकारात्मक ऊर्जा घंटा के स्वर से भ्रमित होकर नष्ट हो जाती है.
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