Bhojpuri: जब गांव से निकल के शहर पहुंचल एगो लइका, पढ़ीं कइसन रहल तजुर्बा

कबो-कबो हमरो मन करsता कि गाँव के दुआर पर एगो कोना में खोंपी आ पलानी होखे. खूँटा पर गाय-बछरू बान्हल जाय. खाँटी दूध मिले. गाय के गोबर वाला खाद से फरहरी लागे आ ताज़ा तरकारी मिले. दुआर पर एगो-दूगो पेड़ लागे आ प्राणवायु ऑक्सीजन मिले. त हमार माई ठीके कहत रहे कि बबुआ हो जनमधरती से ना कटे के, ना छोड़े के, बुरा वक्त में ओही जी लौटे के पड़ेला.

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