विरोधियों का मानना है कि ये आरजेडी के भीतर एक आम बात है कि सीनियर नेताओं की यहां न सिर्फ अनदेखी होती है बल्कि सबको लालू परिवार का 'यस मैन' बनना पड़ता हैं. अब सवाल यह भी है कि शिवानन्द तिवारी के पार्टी या पद छोड़ने पर आरजेडी को कितना नुकसान होगा.
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