फेसबुक के मुहल्ले में खुलती इश्क़ की अंधी गली

ये जो फिक्र है, ये बेकरारी, ये बेसब्री, ये उम्मीद, ये इंतजार. टिंडर पर ये सब नहीं है. वहां किसी ने किसी की ओर दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाया, न किसी को किसी का इंतजार है. वहां एक सेकेंड भी नहीं लगता राइट या लेफ्ट स्वाइप करने में.

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