दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर मतदान हुआ. इनमें से 5 सीटों पर गठबंधन की तरफ से BSP उम्मीदवार उतरे. इनमें से 5 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओें की संख्या 20 फ़ीसदी से अधिक है. इसीलिए मायावती ने देवबंद की रैली से मुसलमानों को एकजुट होकर वोट देने की अपील की थी. उन्हें पता था कि पहले ही चरण से मुसलमानों को साधना ज़रूरी है. मायावती के इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने उन पर 48 घंटे की पाबंदी लगाई थी. जबकि दूसरे चरण को मुस्लिम दलित गठजोड़ की अग्निपरीक्षा की तरह देखा जा रहा था. दूसरे चरण में यूपी की कई सीटों पर दलित और मुस्लिम वोटर की संख्या 50 फीसदी के करीब या उससे ज्यादा है. इस चरण को मुस्लिम दलित गठजोड़ की अग्निपरीक्षा की तरह देखा जा रहा था. क्या लगता है दलित मुस्लिम गठजोड़ कामयाब रहा होगा? साल 2014 के चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करते हुए 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार भी दावा 73 नहीं बल्कि 74 सीटों का है. चुनाव आयोग ने जैसे ही योगी आदित्यनाथ पर पाबंदी लगाई वो तुरंत दलित-यादव फॉर्मूले को तोड़ने में जुट गए. योगी आदित्यनाथ का मकसद है हिन्दू वोटों को जातियों में तोड़ने से बचाना, क्योंकि यादव और दलित वोट अखिलेश और मायावती को जातिगत आधार पर मिलते रहे हैं. योगी आदित्यनाथ ने दलित-यादव गठजोड़ को फॉर्मूले को तोड़ने के लिए ही पहले अयोध्या में दलित महावीर के घर खाना खाया. उसके बाद 18 अप्रैल को वाराणसी जाकर उन्होंने यादवों के मठ गढ़वा घाट में अपनी आमद दर्ज कराई. बीजेपी के स्टार प्रचारक ने नीति, रणनीति और कूटनीति का इस्तेमाल करते हुए विरोधियों पर हल्ला बोल रखा है. अब नतीजे तय करेंगे कि 23 मई को कौन हल्ला बोलेगा. देखिए ये वीडियो.
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