18 साल के सुखविंदर सिंह ने जब से होश संभाला, उन्हें कुछ दिखा तो बस दिन रात मेहनत करते अपने मम्मी पापा. कहीं ड्राइवर का बेटा ड्राइवर ही न बन जाए, इस सोच के साथ सुखविंदर के माता-पिता ने उसकी पढ़ाई में अपना सब कुछ लगा दिया. और अब सुखविंदर अपने मम्मी पापा की पेंडिंग पड़ी खुशियों को उन तक पहुंचाने के लिए तैयार है.
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