बाबरी विध्वंस के बाद सियासत बदली, राजनेता भी बदले. राम जन्मभूमि आंदोलन में किए गए बलिदान की कीमतें भी अदा हुईं, लेकिन इसी आंदोलन में शरीर का आधा हिस्सा गंवा चुके अंचल सिंह मीणा की जिंदगी जैसे उसी एक तारीख पर थम गई. पढ़िए भोपाल के नजदीक सुआखेड़ा गांव में रहने वाले कारसेवक अंचल सिंह मीणा की कहानी...
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