यूनिवर्सिटी द्वारा इन कॉलेजों को हर साल अस्थाई सम्बद्धता दी जाती थी और निरीक्षण के लिए एक लाख रुपये लिये जाते थे, जबकि प्रावधानों के अनुसार एनसीटीई के द्वारा मान्यता देने के बाद यूनिवर्सिटी को इन कॉलेजों को स्थायी सम्बद्धता दिया जाना था.
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