Street Food ज़ायकाः संदूकची से शुरू हुई थी 'फतेह की कचौड़ी', मिलिए इसकी तीसरी पीढ़ी बिट्टू से

‘80 फीसदी ग्राहक वही स्कूल के बच्चे हैं जो नानाजी के पास आते थे. आज कोई 60 का है तो कोई 65 का. बच्चे बूढ़े हो गए लेकिन स्वाद नहीं’.

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