सदर अस्पताल आने के बाद भी परिजनों को स्ट्रेचर नहीं मुहैया कराया गया जहां दादा अपने पोते को लेकर सदर अस्पताल से लेकर पोस्टमार्ट रूम तक कभी गोद में लेकर तो कभी मोटरसाइकिल से घूमता रहा.
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