दलित बच्चे का बचपन अलग होता है. स्कूल में सबसे पीछे बैठा. खाने की थाली अलग रही. बड़ा हुआ, जेएनयू आया. हालात यहां भी वही. हमारा चेहरा, बोली, कपड़े चीखते हैं कि हम दलित हैं. लोगों की आंखों की हिकारत मेरे गानों में उतरने लगी. दलित रैपर सुमीत सामोस की आपबीती...
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