जो ख़रीदने आए हों, उनसे कह दो कि हर भूखा आदमी बिकाऊ नहीं होता: धर्मवीर भारती

भारती जी को समझ आ चुका था कि एक युग का क्रांतिकारी युग-युग का ईश्वर बन जाता है. यह विचार उनकी कविताओं में भी परिलक्षित होने लगा.

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